बात कुछ साल पहले की है, जब मैं अपनी मां और पत्नी के साथ किसी दूर पहाड़ पर स्थित मंदिर गया था।
करीब २०० सीडिया चढ़ कर जैसे ही आखरी की कुछ सीढ़ियों पर चढ़ा एक विशाल शिव लिंग से चकाचौंध करने वाली किरने निकल रही थी। बड़ी मुश्किल से आंखें खोल कर देखा तो नंदी महाराज को सामने पाया। दूसरी ओर नजर घुमाई तो एक विराट वासुकी शिवलिंग k
चारो और लपेटे हुवे थे। कुछ देर के लिए तो में सहम सा गया। मगर नंदी महाराज ने मुस्करा के कहा डरो मत पुत्र आओ और शिवलिंग पर जल अभिषेक करो।
अधिक सीढ़िया होने के कारण मां और पत्नी को विलंब होगया।
मैंने उनके बिना ही जैसे ही लोटे से जल शिवलिंग पर अर्पित किया। शिव लिंग से निकलने वाला प्रकाश थम गया और एक घूंजती हुई आवाज बोली, वत्स तुम मेरे प्रिय हो, जन कल्याण सदा आगे बडकर काम करो। सरस्वती माता की कृपा सदेव तुम पर बनी रहेगी। तथास्तु।
में सहम सा गया और अचानक मेरी नींद खुल गई। मैं सिर्फ़ सपने से भी जागा था, असल में जागा था। और ठान लिया के जनकल्याण के लिए कुछ करना है।
कुछ ही दिनों में एक पुस्तक लिख दी महादेव की ऐसे आदर्शो के उपर जो यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में उतार लें, तो सारा जीवन सुखमय बन जाए।
हाल ही में एक पॉडकास्ट शो "मॉडर्न महाभारत टेल्स" की भी शुरवात की। जहां यह बताया जाएगा के कैसे महाभारत का हर पात्र आपके अंदर। हम सभ के अंदर बसता है।
महादेव का आशीर्वाद पाकर में धन्य होगया और यही मेरी जीवन का सबसे यादगार पल है।
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